हम थे खुशियाँ थीं और हमारे दोस्त थे.
पानी की ठिठोलियों में सभी मदहोश थे.
पता ही न था की ये लहरें रूठ जाएँगी.
और देखते ही देखते दोस्त की साँसें टूट जाएँगी.
जिन्दगी के उन लम्हों को भूलने का दिल करता है.
पर क्या करें दोस्त का चेहरा पल-पल उन लम्हों में गुजरता है.
देखते हैं जब उसके घर में हम आंसुओं की बौछार
उन लम्हों में लौटकर उसे वापस लाने का जी करता है.
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